विद्युत अपघटन क्या होता है – Electrolysis In Hindi
इससे पहले हमने बताया था कि अगर किसी तरल या द्रव पदार्थ में से इलेक्ट्रिसिटी प्रवाह हो जाती है तो वह तरल पदार्थ सुचालक कहलाता है और अगर किसी पदार्थ में से इलेक्ट्रिसिटी परवाह नहीं होती है तो वह कुचालक कहलाते हैं जैसे कि तेल , एल्कोहल,Distilled Water इत्यादि .अगर आप Distilled Water में थोड़ा सा नमक मिला देंगे.तो इस पानी में से करंट आसानी से प्रवाह होने लगेगा .क्योंकि नमक एक सुचालक पदार्थ है जो कि पानी को भी सुचालक बना देगा.
अगर किसी तरल पदार्थ में से करंट को परवाह किया जाए तो रसायनिक अभिक्रिया के कारण उस तरल पदार्थ के (Ions ) तत्व उससे अलग हो जाते हैं.इस प्रक्रिया को विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) कहते हैं.
उदाहरण के लिए अगर सिल्वर नाइट्रेट( AgNO3 ) के घोल में से करंट को गुजारा जाए तो यह अपने अलग-अलग अंग सिल्वर (Ag) और नाइट्रेट (NO3) के आयन में बट जाएगा या अलग अलग हो जाएगा इसी प्रक्रिया को इलेक्ट्रोलिसिस कहते हैं.
इलेक्ट्रोलिसिस से संबंधित परिभाषाएं
1. इलेक्ट्रोलाइट क्या होता है : इलेक्ट्रोलाइट है तरल होता है जिसमें विद्युत प्रवाहित होने पर रासायनिक अभिक्रिया होती है और वह दल चालक अपने पोयम्स में विभाजित हो जाता है जैसे कि सिल्वर नाइट्रेट, नमक मिला पानी, H2So4, Nacl इत्यादि.
2. इलेक्ट्रोड क्या होता है : धातु की प्लेट टर्मिनल या कोई रोड जिसके द्वारा करंट इलेक्ट्रोलाइट में से प्रवाह होता है उसे इलेक्ट्रोड कहते हैं यह दो प्रकार के होते हैं. एनोड और कैथोड.
3. एनोड क्या होता है : जिस टर्मिनल या इलेक्ट्रोड पर बैटरी का पॉजिटिव टर्मिनल जोड़ा जाता है और इस टर्मिनल से करंट इलेक्ट्रोलाइट के अंदर जाता है वह टर्मिनल एनोड कहलाता है एनोड से ही आयन अलग होकर निकलते हैं.
4. कैथोड क्या होता है :जिस टर्मिनल या इलेक्ट्रोड पर बैटरी का नेगेटिव टर्मिनल जोड़ा जाता है और तरल से विभाजित होकर आयन इसी टर्मिनल पर आते हैं यह टर्मिनल कैथोड होता है.
5.संयोजकता क्या होता है : किसी भी परमाणु की वह ताकत है जो कि हाइड्रोजन परमाणु की ताकत से रासायनिक क्रिया करें वह उस तत्वों की संयोजकता कहलाती है .
फैराडे के इलेक्ट्रोलिसिस के नियम
फैराडे के इलेक्ट्रोलिसिस के दो नियम हैं.
1. फैराडे का पहला नियम :
फैराडे के इलेक्ट्रो लाइसेंस के पहले नियम के अनुसार जब किसी इलेक्ट्रोलाइट में से करंट को गुजारा जाता है तो वह अपने आयन में विभाजित हो जाता है और इन आयन की संख्या इलेक्ट्रोलाइट में गुजार रहे करंट की कुल मात्रा के समानुपाती ( प्रोपोरशनल) होती है .
मान लीजिए कुल आयन की संख्या =M
गुजरने वाला करंट = I
करंट गुजरने का समय = T
गुजरने वाली विद्युत की मात्रा = Q=It
फैराडे के नियम के अनुसार , M ∝ It
M ∝ Q और
M = ZIt और M = ZQ और M = Z (Q एक सेकंड के लिए एक एंपियर का करंट)
मान लीजिए कुल आयन की संख्या =M
गुजरने वाला करंट = I
करंट गुजरने का समय = T
गुजरने वाली विद्युत की मात्रा = Q=It
फैराडे के नियम के अनुसार , M ∝ It
M ∝ Q और
M = ZIt और M = ZQ और M = Z (Q एक सेकंड के लिए एक एंपियर का करंट)
यहां पर Z एक कांस्टेंट है जिसे विद्युत का रासायनिक तुल्यांक कहा जाता है इसकी इकाई किलोग्राम प्रति कूलंब (Kg/C) होती है.
2. फैराडे का दूसरा नियम :
फैराडे के दूसरे नियम के अनुसार यदि एक समान मात्रा की विद्युत को अलग-अलग प्रकार के इलेक्ट्रोलाइट में से गुजारा जाए तो विभाजित हुए आयन की मात्रा उन पदार्थों के रासायनिक तुल्यांक के समानुपाती होती है .
इलेक्ट्रोलिसिस के उपयोग
इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग मुख्यतः चार जगह पर बहुत ज्यादा किया जाता है.
1.इलेक्ट्रोप्लेटिंग में ( Electroplating In Hindi )
विद्युत विलेपन :- किसी एक धातु पर दूसरी धातु की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को इलेक्ट्रोप्लेटिंग कहते हैं इस प्रक्रिया का इस्तेमाल सस्ती धातु पर महंगी धातु की परत चढ़ाने के लिए बहुत ज्यादा किया जाता है जिसे की सस्ती धातु को जंग से बचाया जा सकता है और यह दिखने में भी काफी सुंदर हो जाती है.
इस विधि में वह धातु जिस पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग करनी है उसे सबसे पहले अच्छी तरह से साफ किया जाता है ताकि उस पर कोई भी चिकनाई युक्त पदार्थ लगा हो साफ करने के बाद में इसे कैथोड वाले इलेक्ट्रोलाइट के घोल में रख देते हैं एनोड उस धातु को बनाया जाता है जिस धातु की परत चढ़ाने होती है.
फिर किसी डीसी सप्लाई जैसे कि बैटरी डीसी जनरेटर इत्यादि के साथ में इन्हें जोड़ दिया जाता है. परत चढ़ाने के लिए एनोड और कैथोड पर एक निश्चित मात्रा में करंट एक निश्चित समय के लिए दिया जाता है. जिस से की इलेक्ट्रोलाइट में से पॉजिटिव आयन निकल कर कैथोड पर जमा हो जाएं. एनोड से नेगेटिव आयन निकलकर धातु से अभिक्रिया करके इलेक्ट्रोलाइट से मिलकर धातु का लवण बनाते है. और इस प्रक्रिया को तब तक चलाया जाता है जब तक कि जितनी मोटाई की परत चढ़ानी है. उतनी मोटाई की परत ना चढ़ जाए . फिर डीसी सप्लाई को बंद कर दिया जाता है इस प्रक्रिया में ज्यादातर का करंट दिया जाता है ताकि एक मजबूत और साफ धातु तैयार की जा सके.
2. इलेक्ट्रो टाइपिंग में
इलेक्ट्रो टाइपिंग विधि का इस्तेमाल आज बहुत ही कम किया जाता है इसका इस्तेमाल कंप्यूटर के आने से पहले काफी ज्यादा किया जाता था.
3.धातुओं को शुद्ध करना में
इस विधि का इस्तेमाल अशुद्ध धातुओं को शुद्ध करने के लिए किया जाता है. इस विधि में अशुद्ध धातुओं को को एनोड पर तथा शुद्ध धातु को कठोर पर लगाया जाता है और फिर दोनों को DC सप्लाई से जोड़ दिया जाता है . शुद्ध धातु एनोड से निकलकर का तोड़ प्लेट पर एकत्रित हो जाती है तथा अशुद्धियां एनोड के नीचे इलेक्ट्रोलाइट में बैठ जाती है. इलेक्ट्रोलाइट धातु का इस्तेमाल करते हैं. जैसे कि तांबा को शुद्ध करने के लिए कॉपर सल्फेट के इलेक्ट्रोलाइट का इस्तेमाल किया जाता है
4. इलेक्ट्रोलाइट कैपिसिटर में
इलेक्ट्रोलाइट कैपिसिटर में भी इलेक्ट्रोलिसिस का इस्तेमाल किया जाता है. इलेक्ट्रोलाइट्स कैस्टर में अल्मुनियम धातु को दो प्लेटो का प्रयोग दो इलेक्ट्रोड के रूप में किया जाता है. और निश्चित मात्रा में करंट देने पर इनमे से एक प्लेट पर हाइड्रो ऑक्साइड की परत जम जाती है. जो दोनों प्लेटों के बीच में डाई इलेक्ट्रिक का काम करती है डाई इलेक्ट्रिक के खराब होने पर इसे दोबारा रिचार्ज करके ठीक किया जा सकता है. और इस प्रकार के कैपेसिटर का इस्तेमाल रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक के काम में किया जाता है.
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